फिर उगेगा नवल सूरज और खिल उठेगा आसमां। फिर उगेगा नवल सूरज और खिल उठेगा आसमां।
अंदरूनी डर भी सताता है ज़िंदगी ख़त्म होने का डर सिहरन लाता है अंदरूनी डर भी सताता है ज़िंदगी ख़त्म होने का डर सिहरन लाता है
वो भी कुछ कम नहीं था ना। वो भी कुछ कम नहीं था ना।
क्या-क्या कहूं, मेरी कायनात है तू। क्या-क्या कहूं, मेरी कायनात है तू।
भ्रष्टाचार नहीं गहरा होता ऐ काश कभी ऐसा होता। भ्रष्टाचार नहीं गहरा होता ऐ काश कभी ऐसा होता।
तुम्हारे अलावा कोई रंग उसमें सुनहरा नहीं है तुम्हारे अलावा कोई रंग उसमें सुनहरा नहीं है